नई दिल्ली । टा डिग्रेड्स जीव का नाम आपने शायद ही सुना होगा है। ये जीव दिखने में काफी छोटे हैं। लेकिन वैज्ञानिक प्रयोग में काफी शक्तिशाली पाए गए हैं। टार्डिग्रेड्स न केवल उबले हुए पानी में जीवित रह सकते हैं बल्कि ये जीव गहरे समुद्र की खाई के नीचे, ठंड में और अंतरिक्ष के अंधेरे में भी जीवित रहने में सक्षम हैं ।
2019, अगस्त में वैज्ञानिकों द्वारा एक प्रयोग किया गया था। जहां इजराइली स्पेसक्राफ्ट में प्रयोग के लिए टार्डिग्रेड्स को भी ले जाया गया था। हालांकि ये स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था । लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि टार्डिग्रेड्स जीव बच गए होंगे।
फेलियम टार्डिग्रेड से संबंधित सैकड़ों प्रजातियां इतनी मजबूत है कि पृथ्वी पर अन्य जीवन नष्ट हो जाने के बाद भी काफी समय तक यहां रह सकती हैं । इस जीव में एक्सट्रीम कंडीशन को भी सहने की क्षमता है। जिसने वैज्ञानिकों का ध्यान आकर्षित किया है, जो कहते हैं कि टार्डिग्रेड पर चल रहे शोध से ये पता कर सकते है कि कैसे मानव जाति दूसरे ग्रह पर भी सर्वाइव कर सकते हैं। टार्डिग्रेड्स का शरीर मोटा और लंबा होता है जिसके 8 पैर होते हैं । इन्हें कीड़े और क्रस्टेशियंस से रिलेट कर सकते हैं। लेकिन ये थोड़े सूअरों या भालू की तरह दिखते हैं।
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वॉटर बियर भी कहा जाता है। अधिकतर टार्डिग्रेड प्रजातियों का आकार आधे मिलीमीटर से कम लंबा होता है । और कुछ जातियां बड़ी भी हैं जो लगभग 1.5 मिलीमीटर तक बढ़ी हैं । जिन्हें नेकेड आई से आसानी से देखा जा सकता हैं। टार्डिग्रेड सेमी एक्वेटिक हैं। जो पानी के साथ-साथ स्थलीय वातावरण में भी जीवित रह सकते हैं- महासागरों और झीलों से लेकर पहाड़ों, जंगलों और रेत के टीलों तक, ये पूरी दुनिया में पाए जाते हैं अंटार्कटिक ग्लेशियर से लेकर सक्रिय लावा क्षेत्रों तक पाए जा सकते हैं। इन्हें आम तौर पर दल-दल में पाया जाता है।
अधिकतर टार्डिग्रेड फूल वाले पौधों को खाते हैं, पौधों की कोशिकाओं को छेदते हैं और उनकी सामग्री को चूसते हैं, टार्डिग्रेड मूंह ट्यूब के आकार के होते हैं। हालांकि कुछ मांसाहारी होते हैं जो अन्य टार्डिग्रेड खा सकते हैं। टार्डिग्रेड से मनुष्यों को कोई खतरा नहीं है। जबकि वैज्ञानिकों ने अनुसार टार्डिग्रेड की प्रजाति कोई बीमारी भी नहीं फैलाती है। पूरी तरह से सक्रिय होने पर टार्डीग्रेड आमतौर पर केवल कुछ महीनों के लिए जीवित रहते हैं ।
जब पानी की कमी होती है, तो वे बॉल की तरह कर्ल हो जाते हैं। इसलिए इसे ट्यून अवस्था भी कहा जाता है। एक बड़े बैरल जैसा दिखता है जिसे ट्यून कहा जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये काफी आसानी से मर सकते हैं जब ये ट्यून में नहीं होते है क्योंकि ये बाकी सूक्ष्म जीवों की तरह नाजुक हैं ।
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